बंगालियों के विवाह की रस्म और रिवाज | Bengali Marriage Rituals in Hindi
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बंगाली विवाह प्रायः सभी प्रांतों में बड़े धूमधाम के साथ नृत्य एवं नाट्य कला के साथ संपन्न होता है। बंगाली विवाह के भोजन अक्सर काफी मसालेदार एवं चटपटे होते हैं। उन की रस्में रिवाजें पुराने समय की परंपराओं से जुड़ी होती है। सभी रस्मों के पीछे कोई प्राचीन कथा जुड़ी होती है।
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बंगालियों के विवाह (Bengali Matrimony)अत्यधिक भिंन्न एवं आनंदपुर्ण होते हैं। उनके शुभ अवसर पर उपयोग किए जाने वाले वस्त्रों के रंग भी चमकीले सफेद रंग होते हैं। इनके विवाह की कुछ रस्में तो अन्य वर्णों के रस्मों से भी मिलती-जुलती हैं किंतु उनके नाम कुछ भिन्न और अनोखे होते हैं। एवं कई रस्में तो ऐसी होती हैं जिसे अन्य कहीं नहीं देखा जा सकता बिल्कुल अनोखे एवं मजेदार रस्में होती है। आज की पोस्ट में हम आपको बंगाली शादी की रस्म लिस्ट बताने जा रहे हैं |
आदान प्रदान की रस्म | Adan Pradan Bengali Rituals Before Bengali Matrimony
इस रस्म में वर वधु के परिवार वाले एवं कोई पुरोहित जी साथ बैठकर विवाह के लिए एवं विवाह के सभी रस्मों के लिए शुभ तिथि निर्धारित करते हैं। एवं वर वधु के परिवार वाले आपस में उपहारों का आदान प्रदान शगुन के रूप में करते हैं। इस विधि को ज्योतिष के अनुसार समय निकलवा कर किसी शुभ घड़ी में पूर्ण की जाती है।
आशीर्वाद विधि | Ashirvad Bengali Shaadi ki Rasme
इस विधि में वर-वधू को बैठा कर उन्हें उनके परिजन आशीर्वाद स्वरुप अक्षत् एवं दूब घास सिर पर डालते हैं। एवं सोने के उपहार भेंट स्वरूप देते हैं।
ए बूडो भाट की रस्म
इस रेस्म में विवाह से 1 दिन पूर्व सभी स्वजन परिजन मित्र मंडल इत्यादि सभी मिलकर एक उत्सव का आयोजन करते हैं जिसमें कि सारे पारंपरिक व्यंजनों का संग्रह होता है। एवं सभी साथ मिलकर उस भोजन को ग्रहण करने का आनंद लेते हैं।
दही चावल की विधि | Bengali Shaadi Haldi Ki Rasm
इस विधि को विवाह वाले दिन प्रातः काल करीबी संबंधियों के साथ पूर्ण किया जाता है। इस रस्म में वर वधु को किसी पवित्र जलाशय से जल लाने हेतु ले जाया जाता है। एवं उस पवित्र जल का उपयोग स्नान की विधि के समय किया जाता है। एवं उन्हें दही चावल तथा केले और मिठाईयां खिलाई जाती है।
नंदी मुख रस्म | Nandi Mukh Bengali Marriage Rituals
इस रस्म में सारे संबंधी परिजन के साथ वर वधु अपने अपने पूर्वजों को पितरों को प्रणाम करते हैं उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। एवं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं अपने नवजीवन के प्रारंभ की सफलता हेतु प्रार्थना करते हैं।
तट्टवा का रस्म | Tattva Bengali Marriage Rituals
इस रस्म में तेल हल्दी वस्त्र आदि उपहार वर वधु के परिवार वाले एक दूसरे के घर भेजते हैं। जिसका उपयोग आगे हल्दी की रस्म में किया जाता है। इस उपहार के आदान-प्रदान की रस्म को तट्टावा कहते हैं।
होलूद (हल्दी) की रस्म | Bengali Shaadi Haldi Ki Rasm
इसमें वर वधु को उनके परिवार वाले तेल हल्दी लगाते हैं। हल्दी किसी भी शुभ कार्य के लिए काफी पवित्र एवं शुभ माना जाता है। अतः हल्दी की रस्म प्रायः सभी हिंदू विवाह में निभायी ही जाती है।
स्नान का रस्म | Snan Bengali Marriage Rituals
तेल हल्दी लगने के पश्चात उन्हें विवाह से 1 दिन पूर्व लाए गए उस पवित्र जल से ही उनके परिजन स्नान करवाते हैं। इसे स्नान विधि या स्नान का रस्म कहा जाता है।
सांखा पोला की रस्म
साखा सफेद रंग की एवं पोला लाल रंग की मोटी सी चूड़ी होती है। जिसे दूल्हे के द्वारा दुल्हन को पहनाया जाता है इस शाखा पोला को पहनाने की विधि को ही साखा पोला रस्म कहते हैं।
बोर जात्री एवं बोराॅन दाला की विधि
दूल्हा बरात सहित दुल्हन के घर तक अथवा विवाह स्थली तक पहुंचता है। इस बारात प्रस्थान की क्रिया को बोर जात्रा कहते हैं।विवाह स्थली तक पहुंच जाने पर वधु की माता वर के स्वागत में उनका तिलक और आरती करती है। इस विधि को बोराॅन दाला विधि कहते हैं।
साट पाक की विधि
दुल्हन अपने नेत्रों को दो पान की पत्तियों के जोड़े से ढक कर अपने भाइयों द्वारा विवाह स्थली तक लाई जाती है। इस विधि को साट पाक की विधि कहते हैं।
शुभो दृष्टि विधि
पान की पत्तियों से नेत्रों को ढकी दुल्हन के हाथों से जब दूल्हा उन पत्तियों को लेकर हटा देता है। एवं सभी सगे संबंधियों के आगे संकोच वस दुल्हन दूल्हे को देखती हैं। तो इस विधि को शुभो दृष्टिष्टि की विधि कहा जाता है।
बाॅर माला (वरमाला) विधी
इस रस्म में वर वधु एक दूसरे को फूलों की माला पहनाते हैं। इसे वरमाला या जयमाला की विधि कहा जाता है।
संप्रदान की विधि
इस विधि में कलावा अथवा किसी पवित्र सूत्र से वर वधु के हाथों को बांधा जाता है।
सिंदूरदान की विधि
दूल्हा के द्वारा दुल्हन की मांग को सिंदूर से भरा जाता है एवं एक नई साड़ी दुल्हन को उढायी जाती है। इसे सिंदूरदान की विधि कहते हैं इस विधि के साथ विवाह संपन्न हो जाता है।
बासेर घर की रस्म
इस रास्म में विवाह के पश्चात वधु के करीबी रिश्तेदार एवं चचेरे भाई इत्यादि मिलने आते हैं। इस विधि को बासर घर की विधि कहा जाता है।
बासी बीये
विवाह के अगले दिन प्रातः काल वर के घर पर एक विशेष पूजा रखी जाती है। इस पूजा के पूर्ण होने के पश्चात उसी दिन दोपहर में भोजन का आयोजन रखा जाता है।
बो भात (प्रीतिभोज) का आयोजन
बासी बीये की विधि के पश्चात इस खानपान के आयोजन का शुभारंभ होता है। जिसमें सगे संबंधी ,मित्र ,पड़ोसी आदि सभी परिचित लोग दुल्हन की मुंह दिखाई के लिए आते हैं। उन्हें उपहार देते हैं एवं भोजन ग्रहण करते हैं।
सत्यनारायण पूजा का अनुष्ठान
नवविवाहित जोड़ी को भगवान श्री हरि के आशीर्वाद प्राप्त कराने हेतु विवाह के पश्चात सत्यनारायण कथा का आयोजन किया जाता है जो कि एक छोटी सी पूजा विधि साथ संपन्न हो जाता है।
असोत मोंगॅला (पग फेरी) की रस्म
प्रीतिभोज आदि वर के घर पर निभाई जाने वाली सारी रस्मों के पूर्ण होने के पश्चात विवाहित जोड़ी वधु के मायके जाते हैं। एवं वहां भी दोपहर का भोजन ग्रहण करते हैं। इसे बंगालियों में असोत मंगला की रस्म के नाम से एवं हिंदी में पग फेरी के रस्म के नाम से जानते हैं।
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